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आवासीय बाल प्रतियोगिता निकेतन

ऐसे में उपयर्ुक्त समस्याओ ं से बचने का एक ही रास्ता ह ै - वह हैं, अच्छी िशक्षा। एक ऐसी िशक्षा जो हमें संस्कार दे, रोजगार ह,ै संतुिलत जीवन जीन े का आधार दे। यह दुभार्ग्यपूणर् ह ै िक ऐसी िशक्षा ग्रामीण बच्चों को प्रायः नहीं िमल पाती। गांवों में प्रेरणा, प्रोत्साहन व संसाधनों का सदा अभाव रहता है। ऐसे में अच्छी िशक्षा के बदौलत ही हम उन्हें उन्नित के मागर् पर ला सकते हैं और सभी समस्याओ ं को जड़ से उखाड़ सकते हैं। शहरी बच्चों की भी अपनी-अपनी समस्या है। िजसके कारण वे संसाधनों का गलत इस्तेमाल करत े ह ैं व जीवन के मूलभूत िबन्दुओ ं को नहीं समझते हैं। नतीजा वे भी असफल या िनराशा के िशकार होते हैं।

उपयर्ुक्त िबं दुओ ं को ध्यान में रखकर ही आवासीय बाल प्रितयोिगता िनके तन की स्थापना 26 जनवरी 1990 ई. को हुआ । यह िवद्यालय अपने स्थापना के 29 वषोर्ं के इस अविध के अंतगर्त पाँच हजार ( 5000 ) से भी अिधक िवद्यािथर् यों को िविभन्न प्रितयोगी परीक्षाओ ं में सफल बनाने में सफलता पाया है। आज इस िवद्यालय के सैकड़ों छात्र सरकारी सेवा ( भारत व िबहार ) में कायर्रत हैं। िजस उद्देश्य और आशा के साथ इस िवद्यालय की स्थापना हुई इसमें इसने आशातीत सफलता प्राप्त की है। िजसका िदव्यवपूष आज भी िवद्यमान है और आगे भी रहेगा। इस िवद्यालय में िबहार और झारखंड के सैकड़ों छात्र छात्रावास में रहकर अध्ययन कर रहे हैं। अच्छे अभ्यासों और संस्कारों को बचपन एवं िकशोरावस्था में ही िवकिसत िकया जा सकता है। इसिलए उम्र का ध्यान जरूर रखा जाना चािहए। आज इस पूरे सूबे में एक भी ऐसा िवद्यालय नहीं है जो इस िवद्यालय के उपलिब्धयों की बराबरी कर सके । यह िवद्यालय अपने नेक इरादे के प्रित सवर्दा सजग व समिपर् त है।

उद्देश्य !

स्कूल का उद्देश्य ऐसे नागरिक का उत्पादन करना है, जो शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ और स्वतंत्र होगा, वह अपनी सभ्यता, संस्कृति और परंपराओं के प्रति सम्मान की भावना रखता है, साथ ही उसे ऐसा आधुनिक, अच्छा भी बनना है अनुशासित और देशभक्त नागरिक।

कठोर बाल विकास के सभी संभावित तरीकों को अपनाकर अपने छात्रों के संपूर्ण व्यक्तित्व के विकास की नींव रखना

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प्रधान अध्यापक संदेश

Mr. Ramvinay Singh

हर मानव तरक्की चाहता है। वह चाहता है िक उसके संतान उससे भी अिधक नाम कमाये या हम जो न कर सकें वह मेरे संतान (पुत्र-पुत्री) पूरा करें। ऐसा चाहना स्वाभािवक भी है। लेिकन चाहने भर से सपने या इच्छाएँ पूणर् नहीं हुआ करती। इसके िलए माता-िपता या अिभभावक को अपने बच्चों पर िवशेष ध्यान देने की जरूरत है। बच्चों को स्नेह के साथ-साथ उसपर िनयंत्रण व िनगरानी की भी जरूरत पड़ती है। अन्यथा वे रास्तों से भटक सकते हैं। इसके अलावा िकसी भी क्षेत्र में सफल होने के िलए उपयुक्त और पयार्प्त समय का होना भी िनतांत आवश्यक है। पर िवडम्बना इस बात की है िक आज भी कुछ अिभभावक गण अपना मूल कत्तर्व्य बच्चों के िशक्षण शुल्क जमा करने भर मानते हैं और बाकी सभी िजम्मेदारी बच्चों और िवद्यालय पर थोपते हैं। इतना ही नहीं नामांकन के साथ ही या असमय अपने बच्चों का प्रितयोगी परीक्षाओ ं में फॉमर् भरवाते ह ैं या भरते हैं िजसके कारण असफलता हाथ लगती है। ऐसे ही जल्दबाजी करते रहने से बच्चों में हीन भावना पनपती है जो बाद में आपके बच्चों के िलए घातक िसद्ध होगा। समय के साथ चलें बना सफलता आपके साथ चलेगी। को िवकिसत करने के िलए लड़िकयों को भी सुन्दर वातावरण और आजादी दें क्योंिक एक लड़की िशिक्षत होती है तो एक पिरवार िशिक्षत होता है। अतः मैं आप सबों से अपील करती हूँ िक लड़िकयों और मिहलाओ ं को पदोर्ं में न रखें बिल्क उन्हें आगे बढ़ने के िलए अवसर दें।

निर्देशक संदेश

Mrs. Ramita Sinha

कुछ कर गुजरने का दम हो तो आसमान की ऊँचाई भी कुछ भी नहीं। लक्ष्य छोटा हो या बड़ा, उसे पाने में मुिश्कले तो आती ही है। लेिकन िबना रूके । िबना थके पूरे जोश और उत्साह के साथ अपनी राह पर आगे बढ़े तो न िसफर् आपको अपनी मंिजल के िलए नए रास्ते िमलेंगे, बिल्क आपका आत्मिवश्वास भी बढ़ेगा। जब मैं 29 वषर् पहले िबहटा आया था, उस वक्त यहाँ िवद्यालय खोलना एक बड़ी चुनौती थी। िनजर्न टापू की तरह था उस वक्त िबहटा। बहुत से लोगों ने मेरे िनणर्य को बचकाना हरकत समझा। पर आज सबको िबना बताए जबाव िमल गया। आज मुझे खुशी होती है जब हजारों बच्चों को हमने प्रितिष्ठत स्कूलों में नामांकन करवाने में सफलता प्राप्त की है। हजारों लोगों से मुझे बधाईयाँ िमलती है। मगर मैं मानता हूँ िक मुझे हजारो माँ-बाप से जो दुआएँ िमलती हैं वही मेरी असली कमाई है। उनके बच्चे जब मेरे िवद्यालय से सफल होकर िनकलते हैं तो अिभभावकों के चेहरे पर जीत की जो खुशी होती है वही मेरे जीवन की अमूल्य िनिध है। बच्चों के सामने नकारात्मक बातें न करें तो वे अल्प समय में चौंकाने वाले पिरणाम दे सकते हैं। पर िवडम्बना यह है िक कई अिभभावक महोदय सारी िजम्मेवारी िवद्यालय पर थोपते हैं। ऐसे में बच्चों का सवार्ंगीण िवकास संभव नहीं है। क्योंिक सवार्ंगीण िवकास में पिरवार, समाज और िवद्यालय तीनों का सामंजस्य अित आवश्यक है। मेरी आप सबों से अपील है िक अपने बच्चों को कहीं भी पढ़ायें लेिकन िवद्यालय के बाह्य सुन्दरता पर न जाकर आंतिरक सौंदयर् को भी ज़रूर देखें।

हमारे मूल मूल्य

एक ऐसी शैक्षिणक वातावरण उपलब्ध कराना जो बच्चों में अपने लक्ष्य प्रािप्त के िलए जुनून पैदा करे। तािक वे अपने जीवन में सफल हों। प्यार, सहानुभूित, अनुशासन और सम्मान के पारम्पिरक मूल्यों के माध्यम से वह एक अच्छा नागिरक बनें। अपने िवद्यािथर् यों की उपलिब्धयों के माध्यम से आवासीय बाल प्रितयोिगता िनके तन को राष्ट्रीय स्तर पर स्थािपत करना हमारा िमशन है।

इस िवद्यालय का लक्ष्य अपने िवद्यािथर् यों को िज़म्मेवार नागिरक बनाना है। कम ख़चर् में वे इस िवद्यालय के माध्यम से देश और प्रदेशों के ख्याित प्राप्त िवद्यालयों (यथा- सैिनक, िमिलट्री, िसमुलतला, नेतरहाट, हज़ारीबाग़, नवोदय, बी० एच० यू०, वनस्थली िवद्यालय इत्यािद) में सफलता प्राप्त कर अपने सपनों को सच करें।

हम मानते हैं कि शिक्षक छात्रों के लिए मशाल वाहक हैं। शिक्षकों को उनकी योग्यता, अनुभव और प्रभावशीलता के आधार पर भारत के विभिन्न राज्यों से चुना जाता है। अंग्रेजी और कंप्यूटर एप्लिकेशन पर मजबूत कमांड अनिवार्य है।

ABPN प्री-प्राइमरी, प्राइमरी, सेकेंडरी और सीनियर सेकेंडरी एजुकेशन के लिए एक पब्लिक स्कूल का एक जीवंत और संपूर्ण भारतीय मॉडल है, जिसे देश भर के प्रमुख शिक्षाविदों और पेशेवरों के मार्गदर्शन और आदेश के तहत तैयार किया जाता है।

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